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आधुनिक वैज्ञानिक युग में ब्राह्मणों का योगदान एवं कर्त्तव्य
किसी भी समाज को विकसित करने में शिक्षा और खास तौर पर वैज्ञानिक शिक्षा का महत्त्व सर्वोच्य होता है। वैज्ञानिक शिक्षा के आधार पर ही किसी समाज और देश की उत्पादन व्यवस्था, आर्थिक व्यवस्था और सामरिक शक्ति विकसित होती है। जिस किसी काल में जिस किसी देश के अंदर विज्ञान उन्नति करता है, उस काल में उस उस देश में भौतिक सुख, आर्थिक स्वतंत्रता और सामरिक संबलता आती है।
पिछली कुछ सदियों की बात करें तो रहा तो देश का एक समय जब भारत ज्ञान और विज्ञान का केंद्र विस्तार दूर-दूर तक हुआ। एक समय में बारूद और अश्व शक्ति का विकास करने के कारण इस्लामिक राज्य का विस्तार हुआ, कुछ सदियों पहले यूरोप में अनेक वैज्ञानिक आविष्कारक हुए और उसका विस्तार पूरे विश्व में हुआ। इस सदी में अमेरिका, रूस और चीन भी वैज्ञानिक शिक्षा को आधार बनाते हुए विश्व में अपना परचम लहरा रहे हैं। आज भारत के सबसे शिक्षित युवा अमेरिका और यूरोप में शिक्षा या नौकरी पाकर अपने आप को धन्य समझते हैं- यह कोई छुपा हुआ तथ्य नहीं है।
आज भारत भी विश्व में उच्चतम स्थान प्राप्त करने के लिए लालायित है। रचनात्मकता एवं नव-आविष्कारों पर आधारित नए उद्यम खोलने के लिए, सामाजिक समस्याओं से लड़ने के लिए, आर्थिक एवं सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए एवं नए भारत का निर्माण करने के लिए आज हमें आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है।
समय समय से समाज अपने उत्थान के लिए, नए ज्ञान और आविष्कारों के लिए, सामाजिक दिशा निर्धारित करने के लिए-ज्ञानी पुरुषों की ओर टकटकी लगाए देखता है. जो न सिर्फ अपने स्वयं के ज्ञान को एक शिखर पर ले जायें बत्कि बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग को शिक्षित करें, उसका सही दिशा निर्देशन करे और सामाजिक कुरीतियों और अवगुणों के खिलाफ संघर्ष करने में समाज का साथ दे और अग्रणी भूमिका निभाये। भारत के समाज में ऐसे ही व्यक्तियों को ब्राह्मण, पंडित और गुरु कहा गया है। चाहें पूर्व के राजा रहे हों, या आधुनिक युग के राजनेता, पूर्व के धनाढ्य व्यापारी रहे हों या आधुनिक युग के उद्यमी उन सभी ने अपनी सफलता के लिए अपने सलाहकार मंडल में ज्ञानी एवं सुसंस्कृत ब्राह्मणों और पंडितों को सर्वोच्च स्थान दिया है।
समाज में ब्राह्मणों ने इस पांडित्य और सम्मान का स्तर बनाये रखने के लिए सदियों से संघर्ष किया है। राजा राम मोहन रॉय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, केमिस्ट्री में नोबेल पुरुस्कार विजेता श्री वेको रामकृष्णन, फिजिक्स में नोबेल पुरुस्कार विजेता श्री चंद्रशेखर वेंकटरमन, पद्म भूषण एम् एन श्रीनिवास, पदम् भूषण आर के लक्ष्मण (कार्टूनिस्ट) आदि हजारों नाम हैं जिन्होंने विश्व को अपने अपने क्षेत्र में एक नयी दिशा दिखाई। मैं पाठकों से अनुरोध करूंगा की इंटरनेट पर इस लिस्ट का अवलोकन अवश्य करें https%@@en-wikipedia- org@wiki@List of Brahmins. भारत के समाज में आज भी अशिक्षा, कुशिक्षा, गैर-वैज्ञानिक विचार, अंधविश्वास एवं ज्ञान की भारी कमी है। आज भी भारत के बालक-बालिका पैसे की कमी से स्कूल कालेज जाने से वंचित हैं। आज भी अनेकों गरीब गुरवा व्यक्ति टोने टोटके के द्वारा इलाज करवाते हैं। भारत में जनसँख्या की कमी नहीं हैं किन्तु शिक्षित डॉक्टर, अच्छे शिक्षक.